94 रन—इतना बड़ा अंतर शुरुआती मैच में मिल जाए तो टीम का मूड बदल जाता है। एशिया कप 2025 के ओपनर में अफगानिस्तान ने अबू धाबी के शेख जायद स्टेडियम पर हांगकांग को इसी फासले से मात दी। 188/6 का पहाड़ जैसा स्कोर, उसके बाद सटीक गेंदबाज़ी—कहानी सीधी है: हांगकांग 94/9 तक भी नहीं पहुंच पाया।
मैच का हाल
टॉस जीतकर राशिद खान ने पहले बल्लेबाजी चुनी। शुरुआत झटकेदार रही—पावरप्ले में दो विकेट गिर गए। ऐसे वक्त पर ओपनर सदीकुल्लाह अतल ने न सिर्फ क्रीज थामी, बल्कि पारी को सही ठहराव भी दिया। मोहम्मद नबी के साथ तीसरे विकेट पर 51 रन की साझेदारी ने दबाव हटाया और गेंदबाज़ों की लाइन-लेंथ बिगाड़ दी।
मध्य ओवरों में अतल ने स्ट्राइक रोटेट कर हांगकांग की योजना भंग की। असली विस्फोट तब हुआ जब अज़मतुल्लाह उमरज़ई क्रीज पर आए। दोनों ने पांचवें विकेट के लिए सिर्फ 35 गेंदों में 82 रन जोड़ दिए। उमरज़ई ने 21 गेंद पर 53 की तूफानी पारी खेली—यह अफगानिस्तान के लिए टी20आई में सबसे तेज़ अर्धशतक है। उनकी हिटिंग सिर्फ ताकत नहीं थी, स्कूप, फ्लिक और लॉन्ग-ऑन के ऊपर साफ़ स्ट्रोक प्ले ने हांगकांग के फील्ड सेटअप को बेअसर कर दिया।
अंत तक अतल 73* (52) पर डटे रहे—अंकुश, टाइमिंग और गैप चुनने की कला दिखाते हुए। डेथ ओवरों में अफगानिस्तान ने ढील नहीं दी, इसलिए 20 ओवर में स्कोर 188/6 पहुंचा, जो अबू धाबी की बड़ी बाउंड्री और धीमी पिच को देखते हुए ‘पार’ से ऊपर था।
हांगकांग की प्रतिक्रिया? पावरप्ले में फज़लहक फारूकी और उमरज़ई ने चुभती हुई गेंदें डालीं—नयी गेंद से अंदर आती स्विंग और लंबाई में बदलाव ने टॉप-ऑर्डर उखाड़ दिया। छह ओवर में स्कोर 23/4 हो गया और मैच का रुख तय हो गया।
मध्य ओवरों में राशिद खान और नूर अहमद की स्पिन-जोड़़ी ने रन की रफ़्तार पर ताला लगा दिया। कैप्टन राशिद ने अपनी कलाई की गुगली और तेज़ लेग-ब्रेक से बल्लेबाज़ों को बांधे रखा, वहीं नूर ने लंबाई बदल-बदल कर शॉट खेलने की जगह नहीं दी। गुलबदीन नाइब ने मिडिल ओवर्स में सधी हुई मीडियम पेस से दबाव बनाए रखा।
हांगकांग के लिए कप्तान बाबर हयात ने अकेले लड़ाई लड़ी—39 (43) में तीन छक्के लगाए, पर जब दूसरे छोर से विकेट गिरते रहें, तो अकेली पारी कितनी देर टिकती? नतीजा: हांगकांग 20 ओवर में 94/9 तक ही पहुंच पाया और अफगानिस्तान ने 94 रन से मुकाबला जीत लिया।
- टर्निंग पॉइंट: अतल–उमरज़ई की 82 रन की साझेदारी, जिसने मैच को अफगानिस्तान के पक्ष में धकेल दिया।
- पावरप्ले प्रभाव: हांगकांग 6 ओवर में 23/4—रीकवरी की जगह ही नहीं मिली।
- कैप्टनसी कॉल: पहले बल्लेबाजी का फैसला—अबू धाबी की शाम में स्लो पिच और बड़ी बाउंड्री का फायदा मिला।
क्यों खास रही यह जीत, और आगे की राह
ये सिर्फ जीत नहीं, बयान है। ग्रुप बी में अफगानिस्तान के साथ श्रीलंका और बांग्लादेश जैसी टीमें हैं। शुरुआती मैच में इतने बड़े अंतर से जीतने का मतलब है नेट रन रेट पर मजबूत पकड़—टूर्नामेंट के इस फॉर्मेट में यही चलन तय करता है कि आप कितनी आराम से सुपर फोर में घुसते हैं।
रणनीति साफ दिखी—पहले बैटिंग, 160-170 से ऊपर स्कोर, फिर स्पिन से जकड़ना। अबू धाबी में रात को ओस कभी-कभी खेल बदल देती है, लेकिन इस मैच में अफगानिस्तान ने डेथ ओवर्स तक बॉल को ग्रिप करवाने लायक स्थिति बना ली। फील्डिंग भी चुस्त रही; बाउंड्री बचाने वाले डाइव और रिले थ्रोज़ ने 10–15 रन कम करा दिए—यही मार्जिन बड़े अंतर में बदलता है।
व्यक्तिगत प्रदर्शन में दो बड़े फायदे दिखे। पहला, सदीकुल्लाह अतल का टेंपरामेंट—ओपनर अगर 15वें ओवर के बाद तक क्रीज पर है, तो डेथ में बड़े शॉट्स की गुंजाइश बढ़ जाती है। दूसरा, उमरज़ई का डबल-इम्पैक्ट—वे नई गेंद से पावरप्ले में विकेट दिलाते हैं और बैट से डेथ में गियर बदलते हैं। यह कॉम्बो बड़े टूर्नामेंट में सोना है।
स्पिन विभाग अफगानिस्तान की पहचान रहा है, और आज भी रहा। राशिद खान की कप्तानी में फील्ड प्लेसमेंट आक्रामक थे—सिंगल रोकने के लिए करीब की फील्ड, और स्लिप/शॉर्ट थर्ड का स्मार्ट इस्तेमाल। नूर अहमद को बीच के ओवरों में लाने से हांगकांग के मिडिल ऑर्डर ने जोखिम लेकर शॉट खेले और विकेटों का सिलसिला बना रहा।
हांगकांग के लिए सबक साफ है—पावरप्ले में कम से कम नुकसान और स्ट्राइक रोटेशन। बाबर हयात ने दिखाया कि बाउंड्री मिल सकती है, पर नॉन-स्ट्राइकर एंड से सपोर्ट नहीं मिला। अगली बार उन्हें टॉप-ऑर्डर से 10 ओवर में 70–75 का प्लेटफॉर्म चाहिए, वरना स्पिन के सामने फंसना तय है। फील्डिंग में भी चूकें थीं—मिडविकेट और कवर में गिरते कैच और मिसफील्ड जैसी गलतियां तेज़ स्कोरिंग के दौर में महंगी पड़ती हैं।
टूर्नामेंट संदर्भ में, अफगानिस्तान की राह अब बांग्लादेश (16 सितंबर) और श्रीलंका (18 सितंबर) से होकर गुजरती है—दोनों मैच अबू धाबी में हैं, जबकि टीम बेस दुबई में है। यह लॉजिस्टिक्स थोड़ा थका देने वाला हो सकता है, पर शुरुआत इतनी दमदार हो तो ड्रेसिंग रूम का आत्मविश्वास सफर की थकान को ढक देता है।
इतिहास भी मोटिवेशन देता है। 2018 और 2022 में अफगानिस्तान सुपर फोर तक पहुंचा था; 2023 में सब कुछ नहीं बैठा। इस बार बैलेंस बेहतर लगता है—टॉप पर स्थिरता, बीच में पावर-हिटिंग, और गेंदबाज़ी में विविधता: फज़लहक फारूकी की लेफ्ट-आर्म स्विंग, उमरज़ई/नाइब की हिट-द-डेक मीडियम पेस, और राशिद–नूर की स्पिन वेब।
आगे क्या देखना चाहिए? बांग्लादेश के खिलाफ नई गेंद के शुरुआती दो ओवर अहम होंगे—लिटन दास और नजमुल हुसैन शांतो जैसी टॉप-ऑर्डर जोड़ी स्ट्राइक रोटेट करती है, इसलिए स्लिप और शॉर्ट कवर में अटैकिंग फील्डिंग काम आएगी। श्रीलंका के खिलाफ मध्य ओवरों में राशिद–नूर बनाम करुणारत्ने/असमंका जैसे खिलाड़ियों की लड़ाई तय करेगी कि स्कोर 150 के आसपास रुकता है या 170 पार जाता है।
एक बात और—नेट रन रेट की बढ़त जैसे-जैसे टूर्नामेंट आगे जाएगा, राहत देगी। ऐसी बड़ी जीतों का असली फायदा तब पता चलता है जब कोई करीबी मैच हार भी जाओ, तो टेबल पर आप फिर भी ऊपर रहते हो। फिलहाल अफगानिस्तान ने सिर्फ दो प्वाइंट नहीं, बल्कि अपनी पहचान की झलक दे दी है: आक्रामक बल्लेबाजी, अनुशासित गेंदबाजी, और मैच-अप्स की समझ।